राजनेता और उसका बचपन(व्यंग्य)।#24 जनवरी,2004

https://youtu.be/_t9b-2Fb_zw



मैं बचपन में मिट्टी खाता था।
मैं बचपन में मिट्टी खाता था,
अब बड़े-बड़े पूल और बांध खाता हूं।

मैं बचपन में खिलौनों से खेलता था,
अब बड़े-बड़े रेल और मोटर चबाता हूँ। 

मैं बचपन में कागज और पेंसिल खा जाता था,
अब बड़े-बड़े विद्यालय,महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की बिल्डिंग खा जाता हूँ।

मैं बचपन में पांच का सिक्का चुरा कर रख लेता था,
और अब करोड़ों-अरबों निगल जाता हूँ।

 बचपन मे दोस्तों को आपस में लड़ा देता था,
अब दो समुदायों में दंगे करा देता हूँ।

मैं बचपन में मां बाप की जेब साफ करता था,
अब जनता के पैसे साफ करता हूँ।

पहली बार हाथ जोड़कर वोट के लिए प्रणाम करता था,अब हाथ जोड़कर मतदाता की गर्दन दबाता हूँ।

बचपन में घोड़े की सवारी करता था,
अब राजनेता होकर जनता की पीठ पर सवारी करता हूं।

बचपन में मैं जुआ और शतरंज खेलता था,
अब देश के साथ जुआ खेलता हूँ।

मैं बचपन मे मिट्टी खाता था अब बड़े बड़े पुलिया और बाँध खाता हूं।

 बचपन में चोरी कर पास हो जाता था,
अब लाख रूपये में डिग्री दिलवाता हूँ।

बचपन मे दूसरे को पीटता था,
अब शहीद जवानों की लाशों पर राजनीति करता हूं।

मैं बचपन में मिट्टी खाता था,
अब बड़े-बड़े पूल और बाँध खाता हूँ।

(Ashutosh Kumar#आशुतोष कुमार)

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