हिंदी के शब्दों में ई,यी,ए,ये,एँ का प्रयोग।




हिंदी के शब्दों में ई,यी,ए,ये,एँ के प्रयोग सीखें।



नमस्ते बच्चों ! 


प्रस्तावना-


मेरे ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है !

बच्चों !

 आपने अक्सर देखा होगा ,जब आप हिंदी में कुछ वाक्य लिखते होंगे जैसे-हमें पढ़ना चाहिए और हमें पढ़ना चाहिये। गाय घास खा गई और गाय घास खा गयी। आओ हम मिलकर गाएँ और आओ हम मिलकर गायें।तो इन वाक्यों में हम अधिकतर भ्रमित/कंफ्यूज़ हो जाते हैं और जाने अनजाने गलती कर बैठते हैं। किसी ने लिखा माँ बाजार गई। किसी ने लिखा माँ बाजार गयी। किसी ने लिखा मैंने आम खाए । किसी ने लिखा मैंने आम खाये। आखिर सही कौन सा है ?

मूल विषय-

 तो आइए ! आज हम सब मिलकर सीखते हैं,जानते हैं कि कौन से शब्द में किस वर्ण/अक्षर का प्रयोग सही है और कहाँ प्रयोग होता है ? मेरे कहने का मतलब यह है कि खाइए शब्द सही है या खाइये ? गयी सही है या गई ? चाहिए सही है या चाहिये ? खाएँ सही है या खायें ? तो चलो सीखना शुरू करते हैं।


"ई"और "यी"का प्रयोग-


जिन शब्दों के अंत में "ई" आती है,वह संज्ञा होती है और जिन शब्दों के अंत में "यी" आती है,वह क्रिया होती है ।  जैसे आप खुद मन में सोचें-विचारें और तर्क करें कि मिठाई,मलाई,सिंचाई,बुनाई,सिलाई,कढ़ाई,लुगाई,बुवाई,निराई, कटाई,चारपाई, हलवाई, रजाई,गहराई,कमाई,तराई,दहाई,इकाई,पिटाई,जुताई आदि शब्द संज्ञा है।इसलिए इनमें शब्द के अंत मे "यी"का प्रयोग सही नहीं है।


क्योंकि इनसे वाक्य ऐसे बनेंगे- 

वह मिठाई लाया। वह मलाई लाया।खेत की  सिंचाई होगी।ऊन की बुनाई चल रही है। कपड़े की सिलाई होगी। कपड़े में कढ़ाई का काम चल रहा है। बीज की बुआई नही हुई। फसल की निराई पूरी हुई। धान की कटाई नहीं की। घर की टूटी चारपाई पर वह बैठ गया। हलवाई ने खाना बनाया।रजाई मोटी है। गड्ढे की गहराई पता करो ।कितनी कमाई हुई ? पर्वत की तराई।कोरोना की मृत्यु दर दहाई में नहीं होती है।प्रकाश वर्ष दूरी(distance) की इकाई है।[प्रकाश वर्ष समय की नहीं बल्कि दूरी की इकाई है,भले ही इसमें वर्ष शब्द लगा हो।]चोर की पिटाई हुई।इत्यादि।


इन वाक्यों में कमायी, बुआयी,बुनायी आदि शब्दों का प्रयोग गलत होगा,क्योंकि यहाँ ये शब्द संज्ञा हैं।


तब कहाँ पर "ई" की जगह "यी" होगा शब्दों में ?


मिलायी,जतायी,पायी,आयी, गयी,बनायी, गायी,सजायी आदि शब्दों को मिलाई,जताई,पाई,आई,गई,बनाई,सजाई आदि लिखना सही नहीं होगा,क्योंकि वाक्यों में इनका प्रयोग क्रिया के रूप में होता है।


क्योंकि इनसे ऐसे वाक्य बनेंगे-

हमने खीर में चीनी मिलायी(मिलाई नहीं),हमने माँ से खूबसूरती पायी(पाई नहीं),नानी बाजार से आयी(आई नहीं),गाय घास चरने गयी(गई नहीं),माँ ने जलेबी बनायी(बनाई नहीं) आदि।यहाँ "यी" से अंत होने वाले शब्द क्रियाएँ हैं।




ए और ये का प्रयोग-


इसी तरह क्रिया शब्द के अंत में "ये" का प्रयोग होगा न कि "ए"का। जैसे हमने घर सजाये। उसने गाने गाये।नेताजी ने भाषण दिये। लेकिन सवाल है तब "ए" का प्रयोग कहाँ होगा ? तो इसका प्रयोग क्रिया होने के बावजूद यदि उसमें अनुरोध या निषेध/मनाही यानी अंग्रेजी में बोले तो रिक्वेस्ट/प्रोहिबिशन का भाव हो,तो उसमें "ए" लगेगा। जैसे आप घर खोजिए ।आप सच बोलिए। अब आप अपनी जिम्मेदारी समझिए। ऐसा मत बोलिए।


"एँ"का प्रयोग-


इसी प्रकार "एँ" का भी प्रयोग होगा और यही नियम चलेगा कि जब अनुरोध होगा तो "एँ" लगाएँ ।जैसे कृपया यहाँ आएँ ! कृपया इसके बारे में बताएँ ! कृपया उसे घर लाएँ ! आज आप ऑफिस मत जाएँ ![यहाँ इन वाक्यों में आग्रह/अनुरोध/प्रार्थना का भाव है।



अंत में एक खास ट्रिक।


■ यदि कहीं स्त्रीलिंग है और आपने "ई"लगाकर वाक्य बनाया है,तो उसे एक बार पुल्लिंग बनाकर देखें कि क्या वहाँ पुल्लिंग में उसी तरह के शब्द बन रहे हैं ? जैसे आपने लिखा कलम "नई"(स्त्रीलिंग) है। अब आप लिखें कपड़ा "नया"(पुल्लिंग)है। अब आप बताएँ कि नया सही है  या नआ ? क्योंकि आपने नई लिखा था और उसका पुल्लिंग शब्द तो नआ होना ही चाहिए।चूंकि पुल्लिंग में नया होता है,इसलिए स्त्रीलिंग शब्द "नयी" ही सही है न कि "नई"। 


■इसी तरह "शुभकामनायें"सही नहीं है,क्योंकि इसका एक वचन बनाएँगे तो #शुभकामनाया"हो जाएगा जो कि सही नहीं है। 


■गाय का बहुवचन गायें।(गाएँ नहीं)। मुझे घर चाहिए(चाहिये नहीं)।दो में एक फ्री पाएँ(पायें नहीं)। 


तो बच्चों !उम्मीद है आप इनके प्रयोग समझ गये होंगे।अब आप इन्हें सही-सही अपने दैनिक जीवन के लिखने-बोलने व पढ़ने में प्रयोग किया करें।क्योंकि पानी कितना भी शुद्ध हो यदि ठहरा हुआ रहेगा,तो गंदा हो ही जाएगा,उसे ताज़ा और शुद्ध रखने के लिए उसे बहना ही पड़ेगा।कपड़े कितने भी नये हों,वह रखा हुआ रहेगा तो गंदा होकर सड़ ही जाएगा।उपयोग करते रहें,निरंतरता बनी रहेगी।हिंदी भाषा हमारी संस्कृति है।इसे सम्मान व फख्र के साथ उपयोग में लाएँ!


"निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति के मूल।

बिन निज भाषा-ज्ञान के,मिटत न हिय के शूल।।"

                    -भारतेंदु हरिश्चंद्र।

                    

आशुतोष कुमार,TGT, M.S.MURHULSUDI,KASMAR,BOKARO,JHARKHAND

C/N-8789309143

Comments

  1. हिंदी में आपकी रुचि देखकर अच्छा लगा।

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    1. धन्यवाद-सह-आभार आपका !😊👏

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Thank You Very Much !