74वाँ स्वाधीनता/स्वतंत्रता दिवस/74th independence day।

 

■प्रस्तावना-

ऐ मेरे वतन के लोगों,

तुम खूब लगा लो नारा।

 यह हिंद है हम सबका,

लहरा लो तिरंगा प्यारा ।।

पर मत भूलो सीमा पर,

वीरों ने है प्राण गंवाए।

 कुछ याद उन्हें भी कर लो,

कुछ याद उन्हें भी कर लो,

जो लौट के घर ना आए,

जो लौट के घर ना आए।।


नमस्ते बच्चों मैं आशुतोष अपने ब्लॉग पर आप सभी का फिर से स्वागत करता हूं 🙏 और अपने देश के महान राष्ट्रीय पर्व स्वाधीनता दिवस(15 अगस्त) के पावन अवसर पर भारत देश के 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं !💐 


लॉकडाउन और कोरोना के दौर में हमें फिजिकल डिस्टेंस रखने की और घर पर रहने की हिदायत मिली है,इसलिए आज इस पावन दिवस पर भी किसी को भी स्कूल बुलाने से मना किया गया है,ताकि भीड़ इकट्ठी ना हो और किसी तरह का संक्रमण ना हो। तो आज इस ब्लॉग और कुछ वीडियोज के माध्यम से हम कुछ सीखेंगे-जानेंगे,शहीदों को याद कर नमन करेंगे। इस ब्लॉग की शुरुआत में आपने कवि प्रदीप द्वारा लिखा हुआ एक राष्ट्रीय गीत,जिसे अपनी आवाज से लता मंगेश्कर जी ने अमर कर दिया,वह पढा। यह पढ़कर या सुनकर आपको जरूर लगा होगा कि हमें आज का दिन क्यों मनाना चाहिए और क्यों याद रखना चाहिए; क्योंकि आज के ही दिन हमारा प्यारा भारत देश लगभग छह लाख की कुर्बानियों के बाद और अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और उसी याद में हम हर वर्ष 15 अगस्त को इस राष्ट्रीय पर्व को मनाया करते हैं।


■तिरंगे झंडे का महत्व/विशेषता-


तिरंगे झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है।

तिरंगे झंडे में एक रंग केसरिया है,जो बल शक्ति-ओजस-वीरता का प्रतीक है और हिंदू धर्म का भी प्रतीक है । दूसरा रंग सफेद रंग है,जो सच्चाई का प्रतीक है और ईसाई धर्म का भी प्रतीक है । तीसरा रंग हरा रंग है,जो हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है वैभव का प्रतीक है । यह इस्लाम धर्म का भी प्रतीक है । यानी तिरंगा झंडा अपने भारत के सामासिक संस्कृति यानी कंपोजिट कल्चर का प्रतिनिधित्व करता है । यदि इसमें अशोक चक्र की तीलियों का नीला रंग भी मिला दें तो कुल 4 रंग हो गया। यह कुल 4 रंग मनुष्य के कर्म के अनुसार ऋग्वैदिक काल में स्थापित वर्णाश्रम व्यवस्था का या चार आश्रम का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसी तरह अशोक चक्र और चौबीस तीलियां निरंतर गति और निरंतर आगे बढ़ने का प्रतिनिधित्व करता है।


■लोकतंत्र/जनतंत्र

और गणतंत्र में अंतर-


लोक या जन का अर्थ होता है जनता और तंत्र का मतलब होता है शासन या व्यवस्था(सिस्टम=कई इकाइयों से मिलकर बना हुआ स्वरूप)। लोकतंत्र(डेमोक्रेसी)का अर्थ ऐसी व्यवस्था से है जिसमें या तो जनता सीधे शासन करती है या तो फिर जनता के चुने हुए प्रतिनिधि शासन करते हैं।और लोकतंत्र में शासन का मतलब जनता का शोषण करना नहीं बल्कि लोक-कल्याण करना होता है।इसके(लोकतंत्र के) लक्षण हैं-(a)लोकतंत्र में शक्ति जनता के पास होती है,जो कि पंचायती राज या स्थानीय स्वशासन से स्पष्ट होता है।(b)लोकतंत्र में व्यवस्थापिका(legislature=कानून बनाने का कार्य करने वाला तंत्र) और न्यायपालिका(judiciary) अलग-अलग होती है,जो कि राजतंत्र में नहीं होता है।लोकतंत्र जनता का,जनता के लिए और जनता द्वारा की गयी व्यवस्था है।लोकतंत्र में जनता के मूल अधिकार सुरक्षित होते हैं,उसका हनन कोई नहीं कर सकता है।लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है।

जबकि गणतंत्र(रिपब्लिक) का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था से है,जिसमें संविधान(देश चलाने के लिए कानून की पुस्तक) का मुखिया(प्रमुख/प्रधान) जनता द्वारा सीधे चुना हुआ होता है या जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना हुआ होता है न कि वंशानुगत(वंश से चलने वाला)।जैसे भारत में लोकतंत्र और गणतंत्र(क्योंकि भारतीय गणराज्य का मुखिया यानी संविधानिक प्रमुख,जो कि राष्ट्रपति होता है,वह जनता के प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचित होता है), दोनों है,लेकिन इंग्लैंड में लोकतंत्र तो है, लेकिन गणतंत्र नहीं है,क्योंकि वहाँ शासन की प्रमुख महारानी होती है जिसका पद राजतंत्र की तरह वंशानुगत होता है।


■ध्वजारोहण(flag-hoisting)और झंडोत्तोलन(flag-unfurling) में अंतर-


जब झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर झंडे को खोल कर फहराया जाता है तो इसे ध्वजारोहण कहा जाता है।15 अगस्त/स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐसा किया जाता है; क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना  को सम्मान देने के लिए किया जाता है।

जबकि 

जब झंडा ऊपर ही बंधा रहता है और उसे वहीं खोलकर फहराया जाता है तो इसे

झंडा फहराना/झंडोत्तोलन कहा जाता है।26 जनवरी/गणतंत्र दिवस के अवसर ऐसा किया जाता है।


उपसंहार-आज़ादी अभी अधूरी है|

यद्यपि 15 अगस्त,1947 को हमें राजैनतिक आज़ादी मिल गयी और कई तरह की आज़ादी व अधिकार हमें प्राप्त है,हमने कई उपलब्धियां प्राप्त कर ली हैं(हमने अपना सुपर परम कंप्यूटर बनाया,आर्यभट्ट कृत्रिम उपग्रह छोड़ा,पहला पोखरण परमाणु परीक्षण किये,अभी भारत परमाणु शक्ति-सम्पन्न राष्ट्र है,NASA की 40% आबादी भारतीयों की है,चिकित्सा क्षेत्र में हमने रिकॉर्ड के कई झंडे गाड़ दिये आदि आदि लाखों रिकार्ड्स हैं।)लेकिन अभी भी हमें कई क्षेत्र में वैयक्तिक और सार्वजनिक रूप से आजादी पानी बाकी है।तो आज की आज़ादी के दिन हम भी निम्न चीजों से आज़ादी पाने का संकल्प लें।


1)वैयक्तिक गुलामी से आज़ादी-दुर्व्यसनों से आज़ादी,अपने मूल कर्तव्य के प्रति उदासीनता से आज़ादी,नकारात्मकता की गुलामी से आज़ादी,अंधविश्वास,कुप्रथाओं और सामाजिक-सांस्कृतिक बुराइयों से आज़ादी।


2)सार्वजनिक आज़ादी-

●लगभग आधी आबादी अभी भी गरीबी-मुफलिसी में जी रही है।अभी भी 30 करोड़ के आसपास की आबादी बीपीएल

की श्रेणी में है।

●अभी भी सबके लिए एक समान शिक्षा व्यवस्था और स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था नहीं है और हम मैकाले की शिक्षा पद्धति को आज भी ढोते जा रहे हैं।

●हम आज भी भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं।हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे बच्चों में नैतिकता का समावेश न कर सकी।

●एकसमान और स्वदेशी चिकित्सा व्यवस्था नहीं है ताकि सबको सुलभ हो सके।जिसके कारण आज भी चिकित्सा के नाम पर लूट और शोषण जारी है।

●आज भी समाज में जात-पात,भेद-भाव,ऊँच-नीच,छुआछूत,धार्मिक दंगे(हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था बच्चों में सहिष्णुता का संचार करने में अक्षम रही है) होते रहते हैं।

●आज भी भारत नक्सलवाद और आतंकवाद से त्रस्त है।

●आज भी भारत जनसंख्या में विश्व में दूसरे नम्बर पर आता है।

●पर्यावरण के प्रति हमारी जागरूकता अभी भी निराशाजनक है।

●महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर हमें अभी काफी कार्य करने हैं आदि आदि।


जय हिंद ! जय भारत ! जय झारखंड ! वंदे मातरम ! इंकलाब-जिंदाबाद !💐🇮🇳🙏


-आशुतोष कुमार।



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