राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020|मुख्य बिंदु|सरल विश्लेषण|

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020

मुख्य बिंदु और उनके सरल विश्लेषण


नमस्ते बच्चों ! नमस्ते दोस्तों!🙏

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प्रस्तावना:-

बच्चों!जैसा कि आप जानते हैं,पूरे देश और समाज  की बुनियाद शिक्षा होती है । इसलिए इस चीज में होने वाले बदलाव से सभी वर्ग प्रभावित होते हैं।यही कारण है कि एक छात्र,एक अभिभावक,एक शिक्षक को जागरूक होना ही चाहिए,जानना ही चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से तो यह महत्वपूर्ण है ही। शिक्षा को हमारे भारतीय संविधान में समवर्ती सूची में रखा गया है। समय के अनुसार सभी चीजों में बदलाव होता है और इसीलिए हमारी शिक्षा नीति में भी समय-समय पर परिवर्तन होता रहता है। आप जानते हैं कि 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा यानी ड्राफ्ट लाया गया था।इसके बाद उसमें लोगों से सुझाव मांगा गया था।उसके बाद 30 जुलाई 2020 को हमारे देश के वर्तमान मानव संसाधन विकास मंत्री  श्री  रमेश पोखरियाल निशंक  ने लगभग 34 वर्ष बाद 21वीं सदी के भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जारी की।


इससे पूर्व की शिक्षा नीतियां:- 

1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आयी थी।1986 में नयी शिक्षा नीति आयी। 1992 में संशोधित NPE और 2009 में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम आया।


चलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुख्य बिंदुओं को जानते हैं,जिसे सरकार कानून बनाकर आने वाले दिनों में लागू करेगी। आइए इसकी शुरुआत स्कूली शिक्षा से करते हैं-


  1. अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय होगा जो कि अच्छी बात है।

  2. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का कानून था, जिसका दायरा बढ़ाकर 3 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष की उम्र तक किया गया है।(मैं भी हमेशा यह चीज लोगों को बताया करता था।)

  3. अब मिड डे मील में हेल्दी ब्रेकफास्ट(healthy breakfast) भी दिया जाएगा।

  4. बच्चों के ड्रॉपआउट का ratio(अनुपात)जो 40% है उसको अगले 10 सालों तक कम करते हुए हंड्रेड परसेंट बच्चों को सेकेंडरी लेवल तक लाने का लक्ष्य रखा गया है

  5. अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एडुकेशन(ECCE) को अपनाया गया है यानी नर्सरी एडुकेशन  पर फोकस किया गया है।अब स्कूल में बच्चों का एडमिशन 6 साल की उम्र में नहीं बल्कि 3 साल की उम्र से ही होगा।

  6. कुछ अच्छी फैसिलिटीज वाले स्कूलों को मिलाकर स्कूल कंपलेक्स या स्कूल क्लस्टर बनाये जाएंगे,जिसके प्रबंधन के लिए स्कूल-कंपलेक्स-मैनेजमेंट-कमेटी(एससीएमसी)बनेंगे।

  7. जेएस वर्मा समिति की रिपोर्ट को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वीकार किया गया है कि अब शिक्षकों की भर्ती फेयर तरीके से हो।अब पारा टीचर,गेस्ट-टीचर,शिक्षा-मित्र,शिक्षक-बंधु आदि नामों से जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर शिक्षकों की नियुक्ति कम पैसे पर नहीं की जाएगी । क्योंकि जो शिक्षक स्थाई नहीं होंगे,उन्हें अच्छा पैसा नहीं मिलेगा,तो वह बेचारे पढ़ाएंगे कहां से?उनके मन में तो हमेशा असुरक्षा की भावना बनी रहेगी।

  8. शिक्षा विभाग का  अपना अलग बोर्ड होगा,फंडिंग(पैसे लगाना) कोई दूसरी बॉडी करेगी और रेगुलेशन का कार्य कोई तीसरी बॉडी करेगी।

  9. पांचवी कक्षा तक मीडियम-ऑफ-इंस्ट्रक्शन(शिक्षण की भाषा)स्थानीय भाषा या मातृभाषा या राष्ट्रभाषा में होगी।यदि राज्य सरकार चाहे तो आठवीं कक्षा तक मीडियम आफ इंस्ट्रक्शन स्थानीय भाषा में हो सकता है।यह बात देश की हर शिक्षा नीति में कहा गया है।

  10. राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन होगा।(परन्तु मेरी समझ से इसकी संरचना/संघटन में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री को प्रतिनिधित्व देकर इसे लोकतांत्रिक बनाया जा सकता है।)

  11. त्रिभाषा सूत्र को इस शिक्षा नीति में भी अपनाने की बात कही गई है जोकि इससे पूर्व भी शिक्षा नीतियों में कहा जाता रहा है । इसका अर्थ है कि बच्चे तीन तरह की भाषा सीखेंगे। प्राथमिक स्तर पर तो अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा को जानेंगे।फिर राष्ट्रीय भाषा यानी हिंदी को भी जानेंगे  और अंतर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी को भी जानेंगे। लेकिन पता नहीं काफी लोगों में इसको लेकर के बवाल क्यों है।?उन्हें लगता है कि हमारे बच्चे यदि इंग्लिश मीडियम में नहीं पढ़े तो पता नहीं क्या हो जाएगा ?वे सोचते हैं बच्चे पिछड़ जाएँगे, कमजोर हो जाएँगे। जबकि मष्तिष्क का भाषा से तो होता है,लेकिन मस्तिष्क का विकास सिर्फ अंग्रेजी भाषा से ही होगा,यह कैसी मूर्खता है ? दरअसल पढ़े-लिखे लोग भी दो चीजों में फर्क नहीं समझते हैं।एक है-इंग्लिश लर्न करना और दूसरा है-इंग्लिश मीडियम में लर्न करना यह दोनों बिल्कुल दो अलग-अलग चीजें हैं । इसमें इंग्लिश लर्न करना बहुत जरूरी है जो कि सभी बच्चों के लिए होना ही चाहिए।लेकिन सभी बच्चों को सारे सब्जेक्ट्स इंग्लिश मीडियम में ही लर्न कराना बिल्कुल बेवकूफों वाली बात है। यही कारण है कि कुकुरमुत्ते की तरह हर गांव-बस्ती में इंग्लिश मीडियम स्कूल खुले हुए हैं ।वहां न टीचर को अंग्रेजी आती हैं,न पेरेंट्स को अंग्रेजी आती है और ना बच्चों को अंग्रेजी आती है ।तो फिर काहे को इंग्लिश मीडियम स्कूल भैया जी ?

  12. 1964-66 में कोठारी कमीशन ने जो सिफारिश की थी कि भारत की कुल जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का 6% एजुकेशन पर खर्च होना चाहिए इस बात को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी दोहराती हैं और आगे कहती है कि सरकार के कुल खर्चे का 10% ही शिक्षा पर खर्च हो रहा है जिसे अगले 10 साल में 20% तक किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यही है कि आज तक शिक्षा पर कुल खर्च,हमारे टोटल जीडीपी का मुश्किल से 3% ही खर्च हो पा रहा है।

  13. इस नीति में कहा गया है कि वर्तमान की 10+2 वाली स्कूली व्यवस्था(जहाँ 6 साल की उम्र में एडमिशन होता है) को 3 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों तक के लिए लागू किया जाएगा और इस तरह नया फार्मूला बनेगा 5+3+3+4 यानी-वैज्ञानिक शोध में यह पाया गया कि 6 साल की उम्र तक बच्चों के मस्तिष्क का लगभग 80 से 85% विकास हो जाता है ।इसलिए बच्चों को सही ढंग से उनके मस्तिष्क का विकास होने के लिए सीखने का अच्छा माहौल उस उम्र में मिलना बहुत जरूरी है।यही कारण है कि प्रीस्कूल को भी औपचारिक शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है। A)इस foundational stage की पढ़ाई 5 वर्ष की होगी यानी-

(3 वर्ष आंगनबाड़ी या प्रीस्कूल या बालवाड़ी में,जबकि 2 वर्ष पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के लिए)

B)दूसरा 3 वर्ष का preparatory stage जिसमें तीसरी कक्षा चौथी कक्षा और पांचवी कक्षा के वैसे बच्चे रहेंगे जिनकी उम्र 8 से 11 साल की है ।

C)तीसरा middle stage 3 वर्ष का है जिसमें छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे होंगे,जिनकी उम्र 11 वर्ष से लेकर के 14 वर्ष तक की है ।

D)चौथा secondary stage 4 वर्ष का है उसमें कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई शामिल है जिसमें 14 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चे आएंगे।


14. स्ट्रीम यानी संकाय की व्यवस्था को हटाया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि अब आर्ट्स वाले भी साइंस और कॉमर्स पढ़ सकेंगे। कॉमर्स वाले भी साइंस, आर्ट्स पढ़ सकेंगे तथा साइंस वाले आर्ट्स और कॉमर्स तो बिल्कुल पढ़ ही सकेंगे।


15.शिक्षण करने की न्यूनतम योग्यता चार वर्षीय एकीकृत बीएड होगी।बीएड करने के तीन विकल्प होंगे।

A)फ्यूचर टीचर को  क्वालिटी टीचर बनाने के लिए प्रोफेशनल डिग्रीयों की तरह 2030 तक B.Ed चार वर्ष का एकीकृत B.Ed हो जाएगा।

B)जो स्टूडेंट्स तीन वर्ष के graduation को पूरा करके बीएड करना चाहेंगे उनके लिए बीएड दो वर्ष का ही होगा।

C)जो स्टूडेंट्स चार वर्षीय graduation की शोध की डिग्री लेने के बाद या किसी विशिष्ट सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद बीएड करना चाहेंगे,उनके लिए बीएड एक वर्ष का होगा।

प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय स्कूलों में जाकर शिक्षण कराने के नियम को व्यवहारिक प्रशिक्षण के रूप में शामिल किया जाएगा।


16. अब बच्चे क्लास 6 से ही कंप्यूटर सीख सकेंगे।


17. कक्षा 9 से 12 तक सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी अब स्टूडेंट्स को हर छह महीने पढ़कर परीक्षा देनी होगी इसके पहले क्या होता था 1 साल या 2 साल के अंत में 1 या 2 महीने पढ़कर परीक्षा देकर पास हो जाते थे जिससे बच्चों के अंदर क्वालिटी नहीं आ पाते थे उनको कांसेप्ट नहीं रहता था।


18. अब रिपोर्ट कार्ड 360 डिग्री एसेसमेंट के आधार पर होंगे यानी अब स्टूडेंट अपना आकलन खुद भी करेगा और उसका आकलन उसके दोस्त भी करेंगे।


19. अब एक ही सत्र में कई कोर्स कर सकेंगे।


20. अब रटंत विद्या से नहीं बल्कि नींव या बुनियाद को मजबूत करने के लिए क्रिटिकल थिंकिंग पर जोर दिया जाएगा।


21. ग्रेजुएशन में अब मल्टीपल एंट्री सिस्टम लागू होगा याने पहला साल पूरा कर छोड़ देने पर भी सर्टिफिकेट मिलेगा दूसरा साल पूरा करके छोड़ने पर डिप्लोमा का सर्टिफिकेट मिलेगा जिसे एडवांस सर्टिफिकेट भी कहा जाएगा तीसरा साल पूरा करके छोड़ेंगे तो डिग्री का सर्टिफिकेट मिलेगा और चौथा साल कंप्लीट करेंगे तो रिसर्च सर्टिफिकेट यानी शोध प्रमाण-पत्र मिलेगा। इससे पूर्व की व्यवस्था में यदि किसी स्टूडेंट ने 1 साल या 2 साल के बाद अपनी डिग्री छोड़ दे तो वह अयोग्य हो जाता था और उसके पूरे 3 साल बर्बाद हो जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा बल्कि हर एक वर्ष की पढ़ाई पर उसे सर्टिफिकेट मिल सकेगा, जो उसके लिए उपयोगी होगा।

22. पोस्ट ग्रेजुएट में अब तीन विकल्प होंगे 3 साल का ग्रेजुएशन डिग्री करने वाले के लिए 2 साल का मास्टर डिग्री होगा 4 साल के ग्रेजुएशन का डिग्री करने वाले के लिए 1 साल का मास्टर कोर्स होगा और तीसरा 5 वर्षीय इंटीग्रेटेड प्रोग्राम के तहत ग्रेजुएशन और पीजी साथ-साथ पूरे होंगे।


23. पीएचडी करने की योग्यता होगी 4 साल के शोध की डिग्री।


24.फिलहाल एमफिल को हटा दिया गया है।


25. अब टेट यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट को सेकेंडरी लेवल तक के लिए अनिवार्य किया जाएगा ताकि क्वालिटी टीचर की बहाली हो सके।साथ ही साथ शिक्षक नियुक्ति के लिए स्किल टेस्ट या इंटरव्यू या पढ़ाने का डेमो देना को भी अनिवार्य किया जाएगा।


26. शिक्षकों के ट्रांसफर की हानिकारक प्रैक्टिस को रोका जाएगा नई ट्रांसफर पॉलिसी जारी होगी जिसके तहत सामान्य ट्रांसफर पर रोक रहेगी,जबकि जरूरी ट्रांसफर के लिए पारदर्शी तरीके से सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया रहेगी।


26. अब स्कूलों में विदेशी भाषाओं की भी पढ़ाई हो सकेगी।


27. फॉरेन यूनिवर्सिटीज को भारत में लाने के लिए रास्ता खोला जाएगा।


28. हायर एजुकेशन के लिए एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी परीक्षा लेगी ताकि इसमें आने वाला अंक  जोड़कर मुख्य अंक का रैंक अच्छा किया जा सके ताकि अच्छे स्कूल कॉलेजों में एडमिशन मिल सके।


29. केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर ग्रामीण विद्यालयों को बेहतर करने के लिए और ग्रामीण विद्यालयों की ओर शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए विद्यालय परिसर या आसपास आवास बनाया जाएगा या फिर ग्रामीण स्कूलों के आजू बाजू रहने को प्रोत्साहित करने के लिए उनके आवासीय भत्ते(HRA) में वृद्धि की जाएगी।


30. शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखा जाएगा। बीएलओ की ड्यूटी अब शिक्षक नहीं करेंगे।उन्हें सिर्फ चुनाव ड्यूटी में लगाया जाएगा।शिक्षकों को एमडीएम से भी मुक्त रखा जाएगा।


31. हायर एजुकेशन के लिए एम डी एच आई यानी मल्टीडिसीप्लिनरी हायर इंस्टिट्यूट बनाए जाएंगे।


32.NCERT और SCERT दोनों अलग होंगे।


33.2021 में NCFTE( नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फ़ॉर टीचर एडुकेशन) तैयार किया जाएगा।


उपसंहार:-

यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समालोचना की जाए तो इसमें कुल मिलाकर अच्छी बातों के साथ-साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं। चुनौतियां निम्न हैं-

●प्री-स्कूल के लिए दो तरह के मॉडल है एक आंगनवाड़ी वाला जहां अप्रशिक्षित शिक्षक बच्चों को पढ़ाएगा जबकि दूसरा फॉर्मल स्कूल वाला जिसमें एक प्रशिक्षित और क्वालिटी टीचर पढ़ाएंगे तो दोनों जगह के बच्चों के सीखने में बहुत बड़ा फर्क आएगा।

  • यह नीति फ्यूचर टीचर के रूप में क्वालिटी टीचर की बात तो करती है लेकिन एक्जिस्टिंग टीचर के लिए कोई बात नहीं करती है। जबकि 30 करोड़ बच्चों के लिए 80 लाख टीचर अभी मौजूद हैं जिनके अंदर क्वालिटी डिवेलप करने के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मानक के प्रशिक्षण  मिलने चाहिए(जैसा कि दिल्ली में सफल प्रयोग हुआ और बेहतर परिणाम आ रहे हैं) और उन पर भरोसा करते हुए उन्हें इंस्पेक्टर  राज से मुक्त करना चाहिए।

  • फॉरेन यूनिवर्सिटीज के लिए रास्ता खोले जाने के बाद है जिसके चलते शिक्षा का कमर्शियलाईजेशन और प्राइवेटाइजेशन रुकने के बजाय और ज्यादा बढ़ेगा।

  • प्राइवेट स्कूलों में मार्जिनल सेक्टर के बच्चों को 25% रिजर्वेशन के बाद आरटीई में कही गई है जिसे सही से लागू करवाने के लिए इस नीति में जिक्र में है।

  • प्राइवेट स्कूलों के उत्पन्न होने की दर वर्तमान शिक्षा नीति से बढ़ती रहेगी और अभिभावकों का शोषण होता ही रहेगा क्योंकि पूरे देश में सभी के लिए एक समान शिक्षा व्यवस्था का कोई जिक्र नहीं है।

  • कई आयोग और संस्थाएं बनाए जाने से उनके आपस में टकराने की संभावनाएं रहेंगी।

  • कुछ वोकेशनल कोर्स ऐसे हैं जैसे कि B.VOC. बैचलर ऑफ वोकेशनल को बढ़ावा देने की बात कही गई है लेकिन ऐसे कॉलेजों में ज्यादा स्टूडेंट्स दाखिला नहीं लेते क्योंकि ऐसी डिग्री पाने वाले स्टूडेंट्स आईएएस नहीं बन सकते।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पोर्ट्स को लेकर के कोई नीति दिखाई नहीं पड़ती है।


उम्मीद है यह पोस्ट आपलोगों के लिए उपयोगी साबित होगा !

-आशुतोष कुमार










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